बाल विकास के पहलू
हेल्लो, कैसे हो आप? आज हम जानेगे बाल विकास के पहलू के बारे में। हम बाल विकास के पहलू | Aspects of Child Development in Hindi के बारे में जानेंगे। बालक का गामक विकास और क्रियात्मक विकास दो महत्वपूर्ण विकासों में से हैं जो विभिन्न परिस्थितियों में होते हैं। दूसरे विकास सीधे होते हैं। बालकों का क्रियात्मक विकास उनकी माँसपेशियों और तंत्रिकाओं के समन्वित कार्य से उनकी शारीरिक क्रियाओं पर पूरा नियंत्रण पाने से होता है।
क्रियात्मक विकास का अर्थ है मांसपेशियों और तंत्रिका केन्द्रों की समन्वित क्रियाओं से शारीरिक गति पर नियंत्रण प्राप्त करना।हरलॉक क्रियात्मक विकास बालक के क्रियात्मक व्यवहार से निर्धारित होता है।
गामक विकास का नियम निम्न है –
1. मांसपेशियों और तंत्रिकाओं की परिपक्वता गामक विकास पर निर्भर करती है।
2. क्रियात्मक निपुणता बालक को करने के लिए शारीरिक परिपक्वता प्राप्त होने पर ही सीख सकता है।
3. गामक विकास एक पूर्वानुमेय पैटर्न है।
4. क्रियात्मक विकास के लिए मानकों का निर्माण संभव है।
5. गामक विकास व्यक्तिगत है।
शैशवावस्था में गामक विकास
शिशु के शरीर में गामक विकास सिर से पैरों की ओर होता है। 1 माह का बालक सिर ऊपर उठाने लगता है। छः महीने का बच्चा बैठकर सिर घुमाना शुरू कर देता है। दूसरे, शिशु तीसरे महीने में दोनों ओर देखने लगता है।
4 महीने की उम्र में बच्चा आँखों पर समन्वय बनाने लगता है। पाँच महीने में सहारे के साथ काफी देर बैठ सकता है। शिशु को आठ महीने तक बैठने में सहारे की आवश्यकता नहीं होती। दो वर्ष होने पर वह मलाशय और मूत्राशय दोनों पर नियंत्रण स्थापित कर लेता है। शिशु के हाथों और भुजाओं में भी गामक विकास होता है।
जन्म के बाद शिशु कई क्रियाएँ करने लगता है। हालाँकि, उसके अंगों में समन्वय एक निश्चित आयु में ही होता है। जैसे, वे छ: महीने की उम्र में गेंद फेंकने लगते हैं और एक वर्ष तक यह विकास होता है वह गेंद को किसी भी दिशा में फेंक सकता है। लेकिन दो वर्ष तक गेंद फेंकने की क्षमता पर्याप्त हो जाती है।
बाल्यावस्था में गामक विकास
पूर्व बाल्यकाल में गामक विकास उत्तरोत्तर बढ़ता है। बाल्यकाल छह साल से बारह साल तक चलता है। 5 या 6 वर्ष की उम्र में पैरों के कौशल जैसे उछलना, कूदना, रस्सी कूदना, दौड़ना, साइकिल चलाना आदि विकसित हो जाते हैं। पूर्व बाल्यकाल में आम कौशल विकसित होते हैं, जबकि उत्तर बाल्यकाल में नए कौशल विकसित होने लगते हैं।
11-12 वर्ष की उम्र में बालक वयस्कों की तरह काम करने लगते हैं। वह सामाजिक गतिविधियों में दिलचस्पी लेने लगता है। घरेलू कामों में निपुणता से काम करता है, जैसे कुर्सी साफ करना, बिस्तर बिछाना, झाडू करना आदि। ये सभी काम आपके आत्म महत्व को बढ़ाते हैं। विद्यालय में गीत गाना, खिलौने बनाना, लेखन करना और कक्षा के अन्य काम करना दक्षतापूर्वक सीखें जाते हैं।
किशोरावस्था में गामक विकास
किशोरावस्था में गामक विकास पूरा होता है। बालक-बालिकाओं में गत्यात्मक कार्य करने की क्षमता विकसित होती है। बालिकाओं में यह 13–14 वर्ष में और बच्चों में 17 वर्ष में होता है। बालकों को मेहनत के कार्यों में अधिक दिलचस्पी होती है।
बालिकाओं को प्रतियोगितात्मक व्यवस्था में काम करना अच्छा लगता है। तादात्मीकरण के साथ कार्य करते देखा जाता है। बालक पुरुष आदर्श की ओर आकर्षित होते हैं, जबकि बालिकाएं स्त्री आदर्श की ओर आकर्षित होती हैं।
बालक अभिनेता, कलाकार, शिल्पकार और राजनैतिक हीरो से तादात्मीकरण करते हैं, और बच्चे अभिनेत्री, शिक्षिका और अन्य लोगों में व्यक्तित्व का आरोपण करते हैं। रोमांचकारी कार्यों और सामाजिक सेवाओं में रुचि है। वह इसी पर अपने भविष्य की तैयारी करते हैं और सफल भी होते हैं।
शैशवावस्था में सामाजिक विकास
बालक की सामाजिक क्रिया को देखकर रोना या हँसना माना जाता है। उसकी प्रतिक्रिया से सामाजिक विकास शुरू होता है। तीन माह का शिशु अपनी माता की गोद में रोने लगता है जब वह अकेला छोड़ देता है। यह बताता है कि वह अपने समाज से बाहर नहीं जाना चाहता है।
प्रथम वर्ष में बालक सामाजिक व्यवहार में ध्वनियों में अन्तर करना, मानव ध्वनि को जानना, मुस्कुराना, माता को जानना, परिवार के सदस्यों को जानना, खुशी, दुख और क्रोध की भावनाओं को व्यक्त करना, परिचितों से प्यार करना और नए लोगों से भयभीत होना सीखते हैं। अनुकरण करके व्यवहार करने लगता है, जैसे हाव-भाव सीखना और करना।
बाल्यावस्था में सामाजिक विकास
बाल्यकाल में अधिगम का श्रेय हमउम्र बच्चों को जाता है। हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे सामाजिक, कर्मठ, अनुशासित, जिम्मेदार और क्रियाशील हों। बालक-बालिकाओं का समाज आज भी एक ही है और वे एक-दूसरे से सीखते हैं।
वयस्क बच्चों का मन घर से बाहर अधिक रहता है बालक की अपेक्षा बालिकाओं में अधिक जिम्मेदारी की भावना होती है। कुछ बालक सामाजिक समूह में बहुत लोकप्रिय हो जाते हैं।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष के रूप में, बालक के विकास में विभिन्न प्रकार के परस्पर जुड़े पहले समूह होते हैं जो बच्चों के विकास को आकार देते हैं, जिनमें मुख्य पहलु शामिल हैं, जैसे शारीरिक, संज्ञानात्मक, भाषिक, सामाजिक, भावनात्मक और नैतिक विकास।
बच्चों के अलग-अलग विकास का समर्थन करने, स्वास्थ्य विकास को बढ़ावा देने और किशोरअवस्था तक बढ़ावा देने तक उनका महत्वपूर्ण संबंध जानना महत्वपूर्ण है।
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