भारतीय इतिहास | Indian History in Hindi
हेल्लो, कैसे हो आप आज हम भारतीय इतिहास सम्पूर्ण जानकारी बारे में जानेंगे। हम भारतीय इतिहास | Indian History in Hindi के बारे में। भारतीय इतिहास हजारों वर्षों से गौरवशाली है। यह एक ऐसा रास्ता है, जो सिंधु घाटी सभ्यता के रहस्यमय नगरों से शुरू होकर मौर्य साम्राज्य के सौंदर्य से होता हुआ, मध्यकालीन राजवंशों की प्रगति और अंत में आधुनिक भारत के उदय तक जाता है।
इस यात्रा में हम महान शासकों, विद्वानों, कलाकारों और योद्धाओं के कारनामों को पढ़ते हैं जो भारत की संस्कृति और सभ्यता को समृद्ध किया है। हम भी देखते हैं कि भारत में कई धर्मों, दर्शनों और परंपराओं का सह-अस्तित्व है, जो समावेशिता और विविधता का प्रतीक हैं।
भारतीय इतिहास, फिर भी, सिर्फ युद्धों और विजयों की कहानी नहीं है। यह भी वैज्ञानिक खोजों, आर्थिक वृद्धि, सांस्कृतिक विनिमय और सामाजिक बदलाव की कहानी है। यह यात्रा कठिन है लेकिन अंततः सफल होगी।
सिन्धु घाटी सभ्यता
खोज, समयावधि एवं विस्तार –
सिन्धु घाटी सभ्यता की विस्तार अवधि 2500-1750 ई.पू. थी। सर्वप्रथम 1921 ई. में रायबहादुर दयाराम साहनी ने हड़्प्पा नामक स्थान पर इसके अवशेष खोजे थे।
- नगरयोजना – इस सभ्यता की महत्वपूर्ण विशेषता नगर योजना थी।
- आर्थिक जीवन – सैन्धव निवासियों के जीवन का मुख्य उद्यम कृषि कर्मं था।
- शिल्प तथा उद्योग धन्थे – कृषि तथा पशूपालन के अतिरिक्त यहाँ के निवासी शिल्पों तथा उद्योग-धन्धों में भी रुचि लेते थे।
- सामाजिक जीवन – सैन्धव निवासियों का सामाजिक जीवन सुखी तथा सुविधापूर्ण था।
- धार्मिक जीवन – मातृ देवी के सम्प्रदाय का सैन्धव-संस्कृति में प्रमुख स्थान था।
- लेखन कला – अभी तक सिन्धु-सभ्यता की लिपि को पढ़ा नहीं जा सका है।
वैदिक काल
भारतीय इतिहास में 1500 ई.पू. से 600 ई.पू. तक का समय वैदिक सभ्यता कहलाता है। वैदिक सभ्यता दो अलग-अलग कालखण्डों में फैली हुई है। 1500 ई.पू. से 1000 ई.पू. तक का समय उत्तर वैदिक काल (1000 ई.पू. से 600 ई.पू.)
वैदिक साहित्य
वेद – ऋवेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथ्ववेद
उपवेद
- ऋगर्वेद – आयुर्वेद (चिकित्सा शास्त्र से संबंधित)
- यजुबैंद – धनुरवेद (युद्ध कला से संबंधित)
- सामवेद – गंधर्ववेद (कला एवं संगीत से संबंधित)
- अथर्ववेद – शिल्पवेद (भवन निर्माण कला से संबंधित)
- उपनिषद – उपनिषद् 108 हैं।
- पुराण – कुल पुराणों की संख्या 18 है।
- रामायण – रामायण की रचना महर्षि वाल्मिकी ने की थी।
- महाभारत – इसकी रचना महर्ष व्यास ने की थी।
बौद्ध धर्म
महात्मा बुद्ध का जीवन परिचय
महात्मा बुद्ध का जन्म 563 ई. पू. में नेपाल की तराई में स्थित कपिलवस्तु के समीप लुम्बिनी ग्राम में शाक्य क्षत्रिय कुल में हुआ था। 483 ई.पू. में 80 वर्ष की आयु में महात्मा बुद्ध का देहांत कुशीनगर में हुआ। बौद्ध ग्रन्थों में त्रिपिटक सर्वांधिक भहत्वपूर्ण है।
बौद्ध महासंगीतियाँ
संगीति | समय | स्थल | शासक |
प्रथम बौद्ध संगीति | 483 ई. पू. | सप्तपणि गुफा(राजगृह, बिहार) | अजातशत्रु (हर्यंक वंश) |
द्वितीय बौद्ध संगीति | 383 ई. पू. | चुल्लबग्ग (वैशाली, बिहार) | कालाशोक (शिशु नाग वंश) |
तृतीय बौद्ध संगीति | 250 ई. पू. | पाटलिपुत्र (मगध की राजधानी) | अशोक (मौर्य वंश) |
चतुर्थ बौद्ध संगीति | 72 ई. पू. | कुण्डलवन (कश्मीर) | कनिष्क (कुषाण वंश) |
जैन धर्म
- जैन धर्म का संस्थापक ऋषभदेव को माना जाता है, जो कि पहले जैन तीर्थकर भी थे ।
- जैन धर्म में कुल 24 तीर्थकर हुए- महावीर स्वामी जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे।
- महावीर स्वामी का जन्म वैशाली के निकट कुण्डलग्राम (वज्जि संघ का गणतंत्र) में 599 ई. पू. में हुआ था।
- लगभग 72 वर्ष की आयु में 527 ई. पू. में महावीर स्वामी की राजगृह के समीप पावापुरी में मृत्यु हो गई।
- जैन धर्म दो पंथों में बँटा – श्वेताम्बर एवं दिगम्बर।
जैन महासंगीतियाँ
संगीति | समय | स्थल |
प्रथम जैन संगीति | 322 से 298 ई. पू. | पाटलिपुत्र |
द्वितीय जैन संगीति | 512 ई. | वल्लभी |
प्राचीन भारत के प्रमुख वंश एवं शासक
हर्यक वंश – बिम्बिसार (544-492 ई. पू.) हर्यंक वंश का प्रथम शक्तिशाली शासक था। इनकी राजधानी गिरिव्रज (राजगृह) थी।
शिशुनाग वंश – हर्यंक वंश के एक सेनापति शिशुनाग ने मगध के सिंहासन पर अधिकार करके शिशुनाग वंश की स्थापना की।
नंद वंश – इस वंश का संस्थापक महापद्मनंद को माना जाता है।
सिकन्दर का आक्रमण – सिकन्दर (मकदूनिया के शासक फिलिप का पुत्र) ने 326 ई. पू. में भारत पर आक्रमण किया।
मौर्य वंश
चन्द्रगुप्त मौर्य (322 ई. पू.-297 ई. पू.) – चन्द्रगुप्त मौर्य चाणक्य की सहायता से अंतिम नंदवंशीय शासक धनानंद को पराजित कर 25 वर्ष की आयु में (322 ई. पू.) मगध के सिंहासन पर आसीन हुआ।
बिन्दुसार (297 ई. पू.-273 ई. पू.) – चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र बिन्दुसार उसका उत्तराधिकारी बना।
अशोक (269 ई. पू.-232 ई. पू.) – यद्यपि अशोक ने 273 ई. पू. में ही सिंहासन प्राप्त कर लिया था, परंतु 4 साल तक गृहयुद्ध में रत रहने के कारण अशोक का वास्तविक राज्याभिषेक 269 ई. पू. में हुआ।
शुंग वंश (184 ई. पू.-75 ई. पू.) – अंतिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ की हत्या करके उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने 184 ई. पू. में शुंग वंश की स्थापना की।
कण्व वंश (75 ई. पू.- 30 ई. पू.) – वासुदेव इस वंश का संस्थापक था।
मध्यकालीन भारत के प्रमुख वंश एवं शासक
महमूद गजनवी – महमूद गजनवी अपने पिता की मृत्यु के बाद 997 ई. में गजनी के सिंहासन पर बैठा।
मोहम्मद गौरी (1175 ई. -1206 ई.) – महमूद गजनवी के विपरीत, मोहम्मद गौरी के भारत पर आक्रमण का उद्देश्य भारत में मुस्लिम राज्य की स्थापना करना था।
सूरी वंश
शेरशाह सूरी – शेरशाह सूरी ने हुमायूँ को हराकर 1540 ई. से 1545 ई. तक भारत पर राज किया।
मैसूर राज्य – उभरा (1761ई.) हैदरअली के नेतृत्व में मैसूर एक ताकतवर राज्य के रूप में
मराठा वंश – मराठा शक्ति का उदय शिवाजी के नेतृत्व में 17 वीं मराठा वंश शताब्दी में हुआ।
यूरोपियों का भारत आगमन
पुर्तगाली – 1498 ई. में वास्कोडिगामा केरल के कालीकट नामक नगर में समुद्री मार्ग से पहुँचा।
डच – 1602 ई. में यूनाइटेड ईस्ट इण्डिया कम्पनी ऑफ दी नीदरलैण्ड्स अस्तित्व में आयी।
अंग्रेज – ईस्ट इण्डिया कम्पनी (1600 ई.) की स्थापना ब्रिटिश सरकार द्वारा कुछ व्यापारियों को चार्टर प्रदान करने के साथ हुई।
डेन – डेनमार्क की ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना 1616 ई. में हुई थी।
फ्रांसीसी – फ्रांसीसी सम्राट लुई चौदहवें के मंत्री कॉलबर्ट द्वारा 1664 में ‘फ्रेंच ईस्ट इंडिया कम्पनी’ की स्थापना की गई थी।
भारत के गवर्नर जनरल
लॉर्ड विलियम बैटिंक (1828 ई. 1835 ई.)- लॉर्ड विलियम बैटिंक को भारत का प्रथम गवर्नर जनरल का पद सुशोभित करने का गौरव प्राप्त है। 1857 ई. के विद्रोह के प्रमुख केन्द्र व प्रमुख विद्रोही नेता
केन्द्र | विद्रोही नेता |
दिल्ली | बहादुर शाह जफर, बख्त खाँ |
कानपुर | नान साहब, तात्या टोपे |
लखनऊ | बेगम हजरत महल, बिरजिस कादिर |
झाँसी | रानी लक्ष्मीबाई |
जगदीशपुर | कुँवरसिंह, अमरसिंह |
फैजाबाद | मौलवी अहमदुल्ला |
इलाहाबाद | लियाकत अली |
बरेली | खान बहादुर |
भारत के वायसराय
लॉर्ड कैनिंग (1856 ई. 1862 ई.) – लॉर्ड कैनिंग भारत में कम्पनी द्वारा नियुक्त अंतिम गवर्नर जनरल तथा ब्रिटिश सम्राट के अधीन नियुक्त भारत का पहला वायसराय था।
लॉर्ड माउण्टबेटन (मार्च 1947 से जून 1948) – भारत का अंतिम वायसराय तथा स्वतंत्र भारत का प्रथम गवर्नर जनरल।
चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (1948 ई. 1950 ई.) – लॉर्ड माउण्टबेटन की वापसी के बाद 21 जून 1948 को चक्रवर्ती राजगोपालाचारी भारत के गवर्नर जनरल बनाये गये। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम भारतीय व अंतिम गवर्नर जनरल थे।
निष्कर्ष:
संक्षेप में, भारतीय इतिहास प्राचीन काल से आज तक बहुत अलग है। इस यात्रा में हमने बड़ी सफलताओं, कठिन चुनौतियों और निरंतर बदलाव देखा है। भारतीय इतिहास दिखाता है कि विभिन्न संस्कृतियां और परंपराएं मिलकर समृद्ध हो सकती हैं। यह भी हमें विरासत को बचाने और चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होने की जरूरत का याद दिलाता है।
हमारे भविष्य को बेहतर बनाने के लिए हमें अपने अतीत से सीखना होगा और निरंतर प्रयास करना होगा। भारतीय इतिहास पढ़ना हमें न केवल अतीत को समझने में मदद करता है, बल्कि वर्तमान की सराहना करने और भविष्य को बनाने में भी प्रेरित करता है।
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