नेटवर्क टोपोलॉजी क्या है?
हेल्लो दोस्तों, कैसे हो आप आज हम जानेगे नेटवर्क टोपोलॉजी के बारे में की What is Network Topology in Hindi | नेटवर्क टोपोलॉजी क्या है? हिंदी में संपूर्ण जानकारी। टोपोलॉजी कम्प्यूटर नेटवर्क की भौतिक संरचना बनाता है। इसके जरिये नेटवर्क का लेआउट प्लान तैयार बताया जाता है। टोपोलॉजी यह दर्शाता है, कि नेटवर्क में स्थित विभिन्न नोड (End Points) या स्टेशन आपस में किस तरह जुड़े हैं। अतः टोपोलॉजी नेटवर्क की वास्तुशिल्प ड्राइंग (Architectural) होती है, जो कि किसी संचार सिस्टम की संपूर्ण भौतिक संरचना दर्शाता है।
इसके द्वारा विभिन्न स्टेशन या नोड के मध्य डाटा पाथ एवं एक्सेस विधि भी बताई जाती है। यह किसी नये संचार सिस्टम को डिजाईन करने एवं लागू करने में भी पथ प्रदर्शन का कार्य करता है। टोपोलॉजी निम्न छः प्रकार की होती है –
1) स्टार टोपोलॉजी (Star Topology)
2) रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology)
3) बस टोपोलॉजी (Bus Topology)
4) ट्री टोपोलॉजी (Tree Topology)
5) मेश टोपोलॉजी (Mesh Topology)
6) ग्राफ नेटवर्क टोपोलॉजी (Graph Network Topology)
1) स्टार टोपोलॉजी (Star Topology)
यह संचार के क्षेत्र में सबसे पुरानी टोपोलॉजी है। इसका उपयोग सर्वप्रथम टेलीफोन सिस्टम में पी.बी.एक्स स्वीच में किया गया था। इसमें एक केन्द्रीय हब (Hub) या होस्ट कम्प्यूटर होता है तथा इस हब कम्प्यूटर के जरिये बाकि कम्प्यूटर या नोड संचार लाईनों कें जरिये जुड़े होते हैं।
उपरोक्त सिस्टम में जैसा कि चित्र से स्पष्ट है, लोकल कम्प्यूटर या नोड एक दूसरे सीधा संपर्क नहीं कर सकते बल्कि उन्हें होस्ट कम्प्यूटर के जरिये (जो कि केन्द्रीय रूप से कम्प्यूटरों के साथ संचार नियंत्रित करता है।) आपस में संवाद स्थापित करना होता है। अतः यदि B को C से संपर्क करना है, तो वह इस संबंध में सूचना होस्ट कम्प्यूटर को भेजता है, तथा लाईन की उपलब्धता एवं वरीयता के आधार पर होस्ट कम्प्यूटर B एवं C के मध्य संचार लिंक स्थापित करता है। लाभ-स्टार टोपोलॉजी के द्वारा बेहतर नेटवर्क प्रबंधन किया जाता है, तथा यह अन्य टोपोलॉजी की तुलना में सर्वाधिक प्रचलित है।
यदि कोई लोकल कम्प्यूटर काम करना बंद दे या केबल में त्रुटि आ जाये तो वह पुरे नेटवर्क को प्रभावित नहीं करता तथा शेष हिस्सा उसी तरह कार्य करता रहता है। स्टार टोपोलॉजी में विभिन्न नोड्स के जोड़ने के लिये कम से कम लाईनों (n नोड्स के लिए n-1 संचार लाईनें) की आवश्यकता होती है तथा अतिरिक्त नोड जोड़ने पर भी ट्रांसमिशन डिले नहीं होता क्योंकि कोई भी दो नोड के मध्य संपर्क सिर्फ दो संचार लाईनों के द्वारा होता है।
हानि यह सिस्टम पूर्णतः केन्द्रीय नोड तथा होस्ट कम्प्यूटर पर आश्रित होता है। अतः होस्ट कम्प्यूटर के काम न करने पर पूरा सिस्टम बैठ जाता है।
2) रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology)
रिंग टोपोलॉजी में सभी नोड एक दूसरे से लिंक, रिंग या गोल चक्र में जुड़े होते हैं। इस तरह इस टोपोलॉजी का कोई अंतिम बिन्दू नहीं होता साथ ही इसमें कोई मेनू या कंट्रोलिंग कम्प्यूटर नहीं होता। प्रत्येक कम्प्यूटर अपने पड़ोसी कम्प्यूटर या नोड से डाटा या सूचना प्राप्त करता है। इसके बाद वह यह निर्णय लेता है, कि प्राप्त डाटा उसके लिये है या नहीं, यदि वह उसके लिये है, तब वह उसका उपयोग करता है अन्यथा वह अपनी संचार क्षमता का उपयोग करते हुये अगले नोड को भेज देता है। इस नेटवर्क में डाटा एक ही दिशा में आगे जाता है।
रिंग नेटवर्क में जुड़े प्रत्येक कम्प्यूटर के साथ एक विशेष उपकरण जिसे रिपिटर कहा जाता है, लगा होता है, जो प्रेषित सूचनाएँ प्राप्त एवं पुनः प्रेषित अगले रिपिटर को करते हैं।
लाभ – यह स्टार नेटवर्क की तुलना में अधिक विश्वसनीय है। चुंकि इसमें संचार किसी एक कम्प्यूटर पर निर्भर नहीं होता। अतः यह एक सही डिस्ट्रीब्यूटेड डाटा प्रोसेसिंग सिस्टम है एवं उस जगह अधिक उपयोगी है, जहां कोई केन्द्रीय कम्प्यूटर नहीं होता। किन्हीं दो कम्प्यूटरों के मध्य संचार लिंक काम न करने पर परिवर्तित/अतिरिक्त मार्ग भी संभव है। –
हानि – रिंग नेटवर्क, स्टार नेटवर्क की तरह लोकप्रिय नहीं है, क्योंकि इनके लिये अत्यंत जटिल साफ्टवेयर की आवश्यकता होती है। इस तरह के नेटवर्क में डाटा संचार की गति नेटवर्क में लगे कम्प्यूटरों की संख्या के समानुपात में होती है। अर्थात् जितने अधिक कम्प्यूटर नेटवर्क में जुड़े होंगे उतना ही अधिक वक्त डाटा संचार में लगेगा।
3) बस टोपोलॉजी (Bus Topology)
इस विधि में एक केबल जिसे ट्रांसमिशन माध्यम कहा जाता है, के जरिये सारे नोड्स जुड़े होते हैं। इस तरह सारे कम्प्यूटर एक ही ट्रांसमिशन लाईन में साझा करते हैं। किसी एक स्टेशन में संचारित डाटा इस मशीन से जुड़े सभी नोड्स के द्वारा ग्रहण किया जा सकता है। इस संचार लाईन का एक निश्चित अंत बिन्दु होता है, जिसे टर्मिनेटिंग पाइंट कहा जाता है।
लाभ – इस टोपोलॉजी का मुख्य लाभ कम्प्यूटरों को जोड़ने वाली संचार लाईनों में कमी होना है, जिससे इसकी कीमत भी कम हो जाती है। इस तरह के कम्प्यूटरों में नये कम्प्यूटरों को जोड़ना आसान है। साथ ही किसी कम्प्यूटर के काम न करने पर संपूर्ण नेटवर्क प्रभावित नहीं होता, एवं उससे जुड़े कम्प्यूटर सामान्य रूप से कार्य करते हैं।
हानि – इस नेटवर्क की सबसे बड़ी कमी यह है कि यदि संचार माध्यम अर्थात् केबल काम करना बंद कर दे, तो पूरा का पूरा सिस्टम काम करना बंद कर देता है। इस नेटवर्क से जुड़े प्रत्येक कम्प्यूटर को अच्छे एवं जल्दी निर्णय लेने एवं संवाद स्थापित करने की क्षमता होनी चाहिये ।
यह टोपोलॉजी इन्टरनेट नेटवर्क में उपयोग में आती है। लोकल एरिया नेटवर्क जहां अधिक गति वाली संचार चैनल उपयोग में होती है तथा सभी कम्प्यूटर एक छोटे भाग में ही स्थित होते हैं, में इस टोपोलॉजी का उपयोग होता है।
4) ट्री टोपोलॉजी (Tree Topology)
यह बस टॉपोलोजी व रिंग टॉपोलोजी के समान ही कार्य करता है। इसके अन्तर्गत एक से अधिक नोड्स को शृंखलाबद्ध ढंग से जोड़ा जाता है। पहला नोड रूट नोड होता है, जिसके एक या अधिक चाइल्ड नोड होते हैं। इसमें एक नोड की पेटेन्ट नोड होती है, जिसके माध्यम से इसमें डाटा एक उपकरण से दूसरे उपकरण तक पहुँचता है
5) मेश टोपोलॉजी (Mesh Topology)
इस टॉपोलोजी में भी विभिन्न उपकरण एक-दूसरे से एक या एक से अधिक नोड के माध्यम से जुड़े रहते हैं। यह दो प्रकार की होती है।
पूर्ण मेश टॉपोलोजी- इसमें नोड आपस में पूरी तरह से एक दूसरे नोड से जुड़ी होती हैं तथा इस प्रकार की टोपोलोजी में अधिक खर्च आने के साथ-साथ इंस्टालेशन में भी कुछ कठिनाई आती है।
आंशिक मेश टॉपोलोजी- इस प्रकार की टॉपोलाजी में एक या दो ही नोड का प्रयोग करते हैं। अधिक नोड का प्रयोग करने से इंस्टालेशन करने में परेशानी आ जाती है तथा यह पूर्ण मेश टॉपोलोजी से कम खर्चीली होती है।
निष्कर्ष:
नेटवर्क आर्किटेक्चर का एक अनिवार्य घटक नेटवर्क टोपोलॉजी है। यह डेटा संचार को प्रभावित करता है और उपकरणों के बीच कनेक्शन की वास्तुकला को निर्दिष्ट करता है। यह महत्वपूर्ण है कि आप उस टोपोलॉजी का चयन करें जो आपकी मांगों को सर्वोत्तम रूप से पूरा करती है क्योंकि प्रत्येक के अपने फायदे और नुकसान हैं।
नेटवर्क टोपोलॉजी का चयन करते समय, लागत, प्रदर्शन, स्केलेबिलिटी और सुरक्षा जैसे कारकों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। आप उपयुक्त टोपोलॉजी का चयन करके एक ऐसा नेटवर्क बना सकते हैं जो आपकी मांगों को पूरा करता हो और भरोसेमंद और कुशल हो।
अंततः, नेटवर्क को प्रबंधित और डिबग करने से नेटवर्क टोपोलॉजी के बारे में जागरूकता से लाभ होता है। यह भविष्य की विकास योजना और नेटवर्क कार्यप्रणाली अनुकूलन में भी सहायता करता है।
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