Creation of Chhattisgarh State in Hindi | छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हिंदी में संपूर्ण जानकारी

Creation of Chhattisgarh state in Hindi

छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण | Creation of Chhattisgarh state in Hindi

नमस्ते, आप कैसे हैं? हमारे CGJobUpdates.com में आपका स्वागत है। हम छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण | Creation of Chhattisgarh state in Hindi के बारे में जानेंगे। 1 नवंबर सन् 2000 छत्तीसगढ़ भारतीय संघ का 26 वाँ राज्य बना। भारत के नक्शे में देखने पर छत्तीसगढ़ राज्य दरियाई घोड़े के समान दिखाई देता है। छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण मध्य प्रदेश के 16 जिलों को पृथक कर किया गया। 

ब्रिटिश शासन के कारण छत्तीसगढ़ में राजनीतिक विखण्डता के साथ आर्थिक विपन्नता भी आई। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ यहाँ की जनता ने सर्वप्रथम सन् 1774 में विद्रोह किया था, जो अंग्रेजों के खिलाफ भारत का पहला विद्रोह था।

छत्तीसगढ़ के विद्रोही

छत्तीसगढ़ के विद्रोही ‘चिर विद्रोही’ हैं और उन्होंने एक दर्जन से अधिक विद्रोह किये। चौदह देशी रियासतों का आजादी के पश्चात् सन् 1948 में ‘मध्य भारत’ के अन्तर्गत विलीनीकरण हुआ और सन् 1950 से छत्तीसगढ़ पुराने मध्य प्रदेश तथा 1 नवम्बर, 1956 ई. से नए मध्य प्रदेश का घटक बना।

छत्तीसगढ़ ऐतिहासिक व सांस्कृतिक दृष्टि से अपनी एक अलग पहचान लिए एक स्वतंत्र सामाजिक सांस्कृतिक इकाई रहा है, हालाँकि झारखण्ड व दण्डकारण्य की भी अलग पहचान शताब्दियों तक थी।

छत्तीसगढ़ आजादी के पहले चौदह रियासतों (बस्तर, कांकेर, नांदगाँव, खैरागढ़, छुईखदान, कवर्धा, रायगढ़, सक्ती, सारंगढ़, सरगुजा, उदयपुर, जशपुर, कोरिया, चाँग भरवार) में विभक्त था, जो सेन्ट्रल प्रोविंसेज का ही एक घटक था। ब्रिटिश शासन के सीधे आधिपत्य वाले क्षेत्र (रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग आदि) को खालसा कहा जाता था, जिसका मुख्यालय रायपुर में था।

पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की आवश्यकता क्यों?

यह प्रश्न स्वाभाविक है कि छत्तीसगढ़ राज्य की आवश्यकता क्यों पड़ी? छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की पृष्ठभूमि में राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक शोषण व उपेक्षा मुख्य कारण है। 

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –

तात्कालीन छत्तीसगढ़ क्षेत्र से एकत्रित राजस्व की तुलना में छत्तीसगढ़ को विकास हेतु पर्याप्त धन नहीं दिया जाता था। अकेले बस्तर जिले से 120 करोड़ रुपये का सालाना राजस्व एकत्रित होता था, जबकि विकास के नाम पर मात्र 5 करोड़ रुपये ही दिये जाते थे।

एकीकृत मध्य प्रदेश के गठन के समय से ही छत्तीसगढ़ क्षेत्र के साथ भेदभाव किया गया था, जैसे उच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय की खण्ठपीठें, राजस्व मण्डल, परिवहन आयुक्त, आबकारी आयुक्त महालेखाकर, भू- राजस्व, विद्युत मण्डल, राज्य उद्योग निगम, औद्योगिक विकास निगम, राज्य निर्यात निगम, हैण्डलूम संचनालय, माइनिंग, कॉर्पोरेशन, वित्त निगम आदि सभी प्रमुख कार्यालय शेष मध्यप्रदेश को मिले थे व छत्तीसगढ़ जैसे विस्तृत क्षेत्र को उपेक्षित रखा गया।

छत्तीसगढ़ की साक्षरता

छत्तीसगढ़ की निम्न साक्षरता का लाभ लेकर अन्य प्रदेशों के लोग यहाँ के मूल निवासियों का शोषण कर रहे थे । क्षेत्र में विशाल रेलमण्डल के द्वारा रोजगार का लाभ प. बंगाल, उड़ीसा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश आदि के लोगों को हो रहा था।

औद्योगिक विकास की प्रगति अपेक्षाकृत शेष मध्य प्रदेश में हुई है, यहाँ का विकास तो केवल खनिज सम्पदा के दोहन तक ही सीमित होकर रह गया था।

छत्तीसगढ़ राज्य की अपनी विशिष्ट संस्कृति, रहन-सहन, भाषा व बोली शेष मध्यप्रदेश से भिन्न थी।

एकीकृत मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक दूरी अधिक होने के कारण नीतिगत फैसलों को लेने व उन्हें क्रियान्वित करने में देरी होती थी।

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण हेतु किये गये प्रयास

छत्तीसगढ़ को पृथक प्रदेश का आकार देने सम्बन्धी प्रमुख जन भावना का उदय सन् 1861 में ‘सेन्ट्रल प्रोविंसेस’ में छत्तीसगढ़ को शामिल किये जाने के साथ हुआ। सन् 1982 में छत्तीसगढ़ के धर्म परायण राजाओं, जमींदारों, वकीलों, मालगुजारों व गौटियों ने मिलकर एक संघ की स्थापना की इस संघ को छत्तीसगढ़ सुधी संघ कहा जाता था।

इस संघ का उद्देश्य छत्तीसगढ़ वासियों की मानसिक, नैतिक तथा शारीरिक उन्नति के साथ ही छत्तीसगढ़ की पृथक राष्ट्रीय पहचान कायम करवाना था। छत्तीसगढ़ के अनेक जन नेता जैसे ठा. प्यारेलाल, सुन्दरलाल शर्मा, बैरिस्टर ठा. छेदीलाल, घनश्याम सिंह गुप्ता आदि सभी ने वृहत छत्तीसगढ़ राज्य स्थापित करने के लिए वैचारिक आन्दोलन से छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना की भावना विकसित हुई।

पहली बार रायपुर में कांग्रेस कमेटी

सर्वप्रथम सन् 1924 में पहली बार रायपुर जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य के गठन की माँग की गई। इसके बाद जबलपुर त्रिपुरी सम्मेलन। सन् 1939 में भी यह माँग उठी। सन् 1947 में ठा. प्यारेलाल सिंह एवं विश्वनाथ ताम्रकर ने महाकौशल कांग्रेस कमेटी के समक्ष छत्तीसगढ़ राज्य की माँग का प्रस्ताव रखा। सन् 1939 में जबलपुर के त्रिपुरी सम्मेलन में छत्तीसगढ़ राज्य की माँग पुनः उठी। सन् 1955 में भाषा के आधार पर राज्यों की पुनर्रचना के समय छत्तीसगढ़ को राज्य बनाने की माँग जोर-शोर से उठी।

सन् 1956 में राज्य पुनर्गठन आयोग के समक्ष रामकृष्ण सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि मण्डल ने पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के लिए प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया।

डॉ. खूबचन्द बघेल का महत्वपूर्ण

डॉ. खूबचन्द बघेल का छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 28 जनवरी, सन् 1956 ई. को डॉ. खूबचन्द बघेल की अध्यक्षता में राजनांदगाँव में राजनीतिक सम्मेलन हुआ जिसमें छत्तीसगढ़ महासभा का गठन किया गया। इसके अध्यक्ष डॉ. खूबचन्द बघेल, महासचिव दशरथलाल चौबे एवं संयुक्त सचिव हरि ठाकुर एवं केयूर भूषण निर्वाचित हुए। सम्मेलन में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की माँग की गई थी। इस पारित प्रस्ताव को छत्तीसगढ़ महासभा ने शासन को भेज दिया सन् 1967 में खूबचन्द बघेल की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ भातृ संघ की स्थापना हुई।

सन् 1977 तक शेष मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ का विकास समान रूप से होता रहा । अतः पृथक् छत्तीसगढ़ राज्य की माँग सीमित रही।

छत्तीसगढ़ का पृथक पार्टी

छत्तीसगढ़ के सन्त कवि पवन दीवान ने सन् 1983 में पृथक छत्तीसगढ़ पार्टी का गठन किया। इस राजनीतिक दल या पार्टी का उद्देश्य छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण को पूर्ण करना था। इसके माध्यम से पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की माँग को नया रूप प्राप्त हुआ। इस राजनीतिक दल ने आगामी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी खड़े किये।

28 जून, 1991 को छत्तीसगढ़ की बेमेतरा विधानसभा सीट के प्रतिनिधि जनता दल के विधायक श्री महेश तिवारी ने कांग्रेस के समर्थन से एक अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किया, किन्तु मध्य प्रदेश की तात्कालीन भाजपा सरकार इसे पारित न कर सकी।

याद रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • 1 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ देश का 26 वाँ राज्य बना।
  • स्वतंत्रता के समय छत्तीसगढ़ क्षेत्र सेन्ट्रल प्रोविन्सेस एवं बरार का भाग था।
  • प्रदेश की राजधानी रायपुर को बनाया गया तथा बिलासपुर में उच्च न्यायालय की स्थापना की गई।
  • छत्तीसगढ़ का नामकरण इस क्षेत्र में 36 गढ़ों / किलों के स्थित होने के आधार पर हुआ माना जाता है।
  • छत्तीसगढ़ का निर्माण म.प्र. के 3 संभागों (रायपुर, बिलासपुर एवं बस्तर) के 16 जिलों के 96 तहसीलों से किया गया था।
  • 1 नवम्बर 1956 को म. प्र. के गठन के साथ छत्तीसगढ़ अंचल मध्यप्रदेश में शामिल किया गया। मध्यप्रदेश के 16 जिलों को मध्यप्रदेश से अलग कर नये छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण किया गया है।
  • रायपुर जिले के गजेटियर के अनुसार इनमें से 18 किले शिवनाथ नदी के दक्षिण अर्थात् रायपुर राज्य के अन्तर्गत स्थित हैं शेष 18 गढ़ शिवनाथ नदी के उत्तर में रतनपुर राज्य के अन्तर्गत स्थित हैं।
  • पं. सुन्दरलाल शर्मा ने पृथक् राज्य के लिए 1956 में राजनांदगाँव में ‘छत्तीसगढ़ महासभा’ का आयोजन किया था।

निष्कर्ष:

अब हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि राज्य की स्थापना के बाद से छत्तीसगढ़ के कई क्षेत्रों में काफी प्रगति हुई है। छत्तीसगढ़ राज्य ने बुनियादी ढांचे के अलावा निर्माण, स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है।

भारत के उन राज्यों में से एक, जो समय से पहले सबसे तेजी से विकास कर रहा है, वह है छत्तीसगढ़। इसके अलावा, छत्तीसगढ़ राज्य अपने लुभावने परिदृश्य, जीवंत अर्थव्यवस्था और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है।

छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण के बाद, वहां के स्थानीय लोग अब अधिक आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी महसूस करते हैं। आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ राज्य निसंदेह काफी आगे बढ़ेगा।

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