Major Trends of Chhattisgarh in Hindi | छत्तीसगढ़ के प्रमुख प्रचलन संपूर्ण जानकारी

Major Trends of Chhattisgarh in Hindi

छत्तीसगढ़ के प्रमुख प्रचलन | Major Trends of Chhattisgarh in Hindi

नमस्ते, आप कैसे हैं? हमारे CGJobUpdates.com में आपका स्वागत है। हम आज छत्तीसगढ़ के प्रमुख प्रचलन | Major Trends of Chhattisgarh in Hindi के बारे में जानेंगे।

छत्तीसगढ़, भारत के मध्य भाग में स्थित, अपनी विविधतापूर्ण संस्कृति और प्रचलनों के लिए जाना जाता है। छत्तीसगढ़ राज्य के प्रमुख प्रचलनों का विस्तृत विवरण इस लेख में प्रस्तुत किया गया है। छत्तीसगढ़ की विविधतापूर्ण संस्कृति और विविधता को प्रचलन बताता है।

उपरोक्त सभी में छत्तीसगढ़ के प्रमुख प्रचलन छत्तीसगढ़ी संस्कृति और जीवनशैली को दर्शाते हैं, छत्तीसगढ़ के प्रमुख प्रचलनों का एक संक्षिप्त विवरण निम्न है, जो इस राज्य में और भी बहुत से चीजे प्रचलित हुए है जो इसे देखने और अनुभव करने के योग्य है।

  • ईटों के बने प्रमुख मंदिर
  • सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर
  • खरौद के शबरी मंदिर व इंदल देवल
  • पुजारी पाली का केवटीन मंदिर
  • पलारी का सिद्धेश्वर मंदिर
  • धोबिनी का चितावरी मंदिर

पाषाण निर्मित मन्दिरों का प्रचलन कलचुरियों के शासन काल में हुआ।

  • रायपुर – राजिम, नारायणपुर, आरंग, खल्लारी
  • बिलासपुर – तुम्माण, रतनपुर, मल्हार
  • पाली – किरारी गोंडी
  • जांजगीर – सारग्राम
  • दुर्ग – देवबलौदा, देवरबीजा

धातु प्रतिमाएँ

  • छत्तीसगढ़ में सातवी-आठवीं शताब्दी में धातु प्रतिमाओं का निर्माण प्रारंभ हुआ।
  • सिरपुर से लगभग 25 प्रतिमाएँ प्राप्त हैं।
  • सर्वश्रेष्ठ प्रतिमा तारा की मानी जाती है जो मुम्बई के भारतीय विद्या भवन को भेंट की गई, जो आजकल अमेरिका के लॉस एंजिल्स में है।
  • 11 धातु प्रतिमाएँ रायपुर संग्रहालय में हैं।
  • सिरपुर के अलावा रायपुर के फुसेरा व बिलासपुर के सलखन गाँव से प्रतिमाएँ प्राप्त हुई हैं।

मूर्तिकला

ईसा पूर्व द्वितीय शताब्दी से चौदहवीं शताब्दी तक छत्तीसगढ़ में मूर्तिकला के उत्कृष्ठ उदाहरण प्राप्त हुए हैं। बिलासपुर के बुढ़ीखार (मल्हार) में देश की प्राचीनतम अभिलिखित चतुर्भुज विष्णु प्रतिमा प्राप्त हुई है। इसे छत्तीसगढ़ की प्राचीनतम मूर्ति होने का गौरव प्राप्त है।

बस्तर में नागवंशीय मूर्तिकला के प्रमुख केन्द्र दन्तेवाड़ा की आराध्य देवी माँ दन्तेश्वरी, बारसूर की गणेश प्रतिमा जो कि विशाल आकार के लिए प्रसिद्ध हैं व भैरमगढ़ के हरिहर हिरण्यगर्भ पितामह की श्रेष्ठ प्रतिमा जगदलपुर संग्रहालय में संरक्षित है।

अभिलेख

सर्वाधिक महत्वपूर्ण व प्राचीन अभिलेख सरगुजा जिले के रामगढ़ पर्वत से जोगीमारा गुफा में तीसरी शताब्दी ई. पू. के मिले हैं। दूसरा महत्वपूर्ण अभिलेख बिलासपुर के किरारी नामक स्थान से मिला जो काष्ठ स्तम्भ लेख है । यह दूसरी शताब्दी का है।

इसके अलावा छत्तीसगढ़ में पीपरदुला, कुरुद, खान, मल्हार, आरंग, नहना, आमगुड़ा, सिरपुर, सारंगढ़, अकलतरा, शिवरी नारायण, पुजारी, पाली, बारसूर, कुसरूपाल, नारायणपाल, कांकेर, कोटगढ़, ताला, अमोदा व अन्य अनेक स्थलों पर अभिलेख प्राप्त हुए हैं।

मुद्राएँ

  • रायपुर के तारापुर, आरंग, उडेला से प्राक् मौर्यकालीन आहत मुद्राएँ प्राप्त हुई हैं, जिसका वजन 12 रत्ती का है।
  • मौर्यकाल के सिक्के अकलतरा, ठठारी, बार व बिलासपुर से प्राप्त हुए हैं। 
  • सातवाहनों की मुद्रा व कुषाणों की मुद्रा बिलासपुर के चकरबेड़ा से प्राप्त हुई हैं।
  • गुप्तवंश की मुद्रा – दुर्ग के बानबरद से प्राप्त हुई है। 
  • बालपुर में भी बालकेशरी की एक पत्थर मुद्रा प्राप्त हुई है।

छत्तीसगढ़ के प्रमुख उत्खनन कार्य

  • सिरपुर             1953-56
  • धनोरा              1956-57
  • मल्हार              1975-78
  • करकामार          1991

राजनांदगाँव से तीन बन्दर की प्रतिमाएँ प्राप्त हुई हैं।

स्मरणीय बिन्दु

  • छत्तीसगढ़ प्राचीन काल में दक्षिण कोसल क्षेत्र में आता था।
  • छत्तीसगढ़ शब्द का सर्वप्रथम उपयोग साहित्य में दलपत राम साव ने किया था।
  • छत्तीसगढ़ में सर्वोधिक समय तक शासन कलचुरी राजवंश में किया था।
  • छत्तीसगढ़ में चर्चित सोनाखान में कलचुरी वंश की जमींदारी थी।
  • छत्तीसगढ़ के उत्तर में स्थित रायगढ़ की कबरा पहाड़ से पाषाण युग के औजार प्राप्त हुए हैं।
  • छत्तीसगढ़ के रतनपुर की तुलना कुबेर नगर से की जाती है।

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